महिला एवं बाल अपराध राजस्थान पुलिस PDF and notes
Lesson-4
यदि आप ने lesson-1,2 or 3 नहीं पढ़ा है तो पहले उन्हें पढ़ ले जिनके link last में दिये गये हैं।
📚पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम 1994:-
भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगनुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है। भारत सरकार ने स्पष्ट रूप से जन्म पूर्व लिंग निर्धारण के प्रति अपना विरोध व्यक्त किया, जिसके फलस्वरूप दिनांक 01/01/1996 को प्रसव पूर्व निदान तकनीक (विनियमन और दुरूपयोग निवारण) अधिनियम, 1994 लागू कर ऐसी जाँचों को कानूनी अपराध ठहराया है। इस अधिनियम के अन्तर्गत पंजीकृत आनुवंशिक सलाह केन्द्रों; आनुवंशिक प्रयोगशालाओं, आनुवंशिक क्लिनिकों, अल्ट्रासाउण्ड क्लिनिकों और इमेजिंग सेन्टरों में जहां गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक से संचालन की व्यवस्था है वहां जन्म पूर्व निदान तकनीकों का उपयोग केवल निम्नलिखित विकारों की पहचान के लिए ही किया जा सकता है:-↪गुणसूत्र सम्बन्धी विकृति |
↪आनुवंशिक उपापचय रोग |
↪रक्त वर्णिका संबंधी रोग |
↪लिंग संबंधी आनुवंशिक रोग ।
↪जन्मजात विकृतियां।
↪केन्द्रीय पर्यवेक्षक बोर्ड द्वारा संसूचित अन्य असमानताएं व रोग
इस अधिनियम के अन्तर्गत यह भी व्यवस्था है कि प्रसव पूर्व निदान तकनीक के उपयोग या संचालन के लिये चिकित्सक निम्नलिखित शर्तों को भली प्रकार जांच कर लेवें कि गर्भवती महिला के भ्रूण की जांच की जाने योग्य है अथवा नही:-
↪गर्भवती स्त्री की उम्र 35 वर्ष से अधिक है।
↪गर्भवती स्त्री के दो या उससे अधिक स्वतः गर्भपात या गर्भस्त्राव हो चुके हैं ।
↪गर्भवती स्त्री नशीली दवा संक्रमण या रसायनों जैसे सशक्त विकलांगता प्रदार्थों के संसर्ग में रही है।
↪गर्भवती स्त्री या उसके पति का मानसिक मंदता या संस्तंभता जैसे किसी शारीरिक विकार या अन्य किसी आनुवांशिक रोग का पारिवारिक इतिहास है।
↪केन्द्रीय पर्यवेक्षक बोर्ड द्वारा संसूचित कोई अन्य अवस्था है|
इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है एवं इसके तहत लिंग की जांच पर पाबंदी है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड या सोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डॉक्टर, लैब कर्मी को 3 से 5 साल तक की सजा और 10 से 50 हजार तक के जुमनि की सजा का प्रावधान है |
📚पूर्व गर्माधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम (संशोधन) 1994:-
भारत सरकार ने उक्त अधिनियम में आवश्यक संशोधन कर दिनांक 14.2.2003 से अधिनियम का नाम गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध)अधिनियम, 1994 रखा है।📚अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम,1956:-
इस अधिनियम के अनुसार 18 वर्ष का कोई भी व्यक्ति नाबालिग है। यह अधिनियम व्यवसायिक यौन उत्पीड़न (वैश्यावृत्ति) के उद्देश्यों से किये जाने वाले व्यापार की रोकथाम एवं इससे सुरक्षा प्रदान करता है। वैश्यावृत्ति करने या उसके लिए फुसलाने/ याचना करने के सम्बन्ध में दोषी महिला को उसके मानसिक या शारीरिक स्थिति के आधार पर न्यायालय उसको सुधार संस्था में भी भेजने का आदेश दे सकती है।अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम के अंतर्गत बाल एवं महिला विशेष निम्नलिखित कार्य अपराध हैं -
↪अगर कोई व्यक्ति किसी बच्चे या नाबालिग द्वारा की गई वेश्यावृत्ति की कमाई पर रहता है तो ऐसे व्यक्ति को कम से कम 7 साल व अधिक से अधिक 10 साल की जेल हो सकती है।
↪18 साल से कम उम्र की लड़की को गैर कानूनी संभोग के लिए फुसलाना (धारा-366-क) -यदि कोई व्यक्ति किसी 16 साल से कम उम्र की लड़की को फुसलाता है, किसी स्थल से जाने को या कोई कार्य करने को यह जानते हुए कि उसके साथ अन्य व्यक्ति द्वारा गैर कानूनी संभोग किया जाएगा या उसके लिए मजबूर किया जाएगा तो ऐसे व्यक्ति को 10 साल तक की जेल और जुर्मानि से दंडित किया जाएगा।
↪विदेश से लड़की का आयात करना (धारा 366-ख)-
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अगर कोई व्यक्ति किसी 21 साल से कम उम्र की लड़की को विदेश से या जम्मू कश्मीर से लाता है, यह जानते हुए कि उसके साथ गैर कानूनी संभोग किया जाएगा या उसके लिए मजबूर किया जाएगा तो ऐसे व्यक्ति को 10 साल तक की जेल और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
↪वेश्यावृत्ति आदि के लिए बच्चों को बेचना (धारा-372)- अगर कोई व्यक्ति किसी 18 साल से कम उम्र के बच्चे को वेश्यावृत्ति, या गैर कानूनी संभोग, या किसी कानून के विरूद्ध और दुराचारिक काम में लाए जाने या उपयोग किए गए जाने के लिए उसको बेचता है या भाड़े पर देता, तो ऐसे व्यक्ति को 10 साल तक की जेल और जुर्माने से भी दंडित किया जा सकता है।
↪यदि कोई व्यक्ति किसी 18 साल से कम उम्र की लड़की को किसी वेश्या या किसी व्यक्ति को, जो वेश्यागृह चलाता हो या उसका प्रबंध करता हो, बेचता है, भाड़े पर देता है तो यह माना जाएगा कि उस व्यक्ति ने लड़की को वेश्यावृत्ति के लिए बेचा है, जब तक कि इसके विपरीत साबित न हो जाए।
↪वेश्यावृत्ति आदि के लिए बच्चों को खरीदना (धारा 373) -अगर कोई व्यक्ति किसी 18 साल से कम उम्र के बच्चे को वेश्यावृत्ति, या गैर कानूनी संभोग, या किसी कानून के विरूद्ध, और दुराचारिक काम में लाए जाने या उपयोग किए जाने के लिए उसको खरीदता है या भाड़े पर देता है, तो ऐसे व्यक्ति को 10 साल की जेल और जुमनि से भी दंडित किया जा सकता है।
राज्य सरकार इस अधिनियम के अंतर्गत अपराधों के संबंध में विशेष पुलिस अधिकारियों को नियुक्त करेगी। सरकार कुछ महिला सहायक पुलिस अधिकारियों की भी नियुक्ति कर सकती है।
इस अधिनियम के अंदर दिए गए अपराध के दोषी व्यक्ति को विशेष पुलिस अधिकारी या उसके निर्देश के बिना, वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है।
वहां पर मिलने वाले व्यक्तियों को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा। ऐसे व्यक्तियों की आयु, लैंगिक शोषण, व यौन संबंधी बीमारियों की जानकारी के लिए चिकित्सीय जांच करायी जाएगी |
ऐसे स्थानों पर मिलने वाली महिलाएं या लड़कियों से, महिला पुलिस अधिकारी ही पूछताछ कर सकती है।
सम्बंधित पक्ष को सुनने के बाद यदि यह लगता है कि वहां पर वेश्यावृत्ति हो रही है तो मजिस्ट्रेट सात दिन के अंदर उसको खाली करने व उसकी अनुमति के बिना किराये पर न देने के आदेश दे सकता है।
↪वेश्यावृत्ति आदि के लिए बच्चों को बेचना (धारा-372)- अगर कोई व्यक्ति किसी 18 साल से कम उम्र के बच्चे को वेश्यावृत्ति, या गैर कानूनी संभोग, या किसी कानून के विरूद्ध और दुराचारिक काम में लाए जाने या उपयोग किए गए जाने के लिए उसको बेचता है या भाड़े पर देता, तो ऐसे व्यक्ति को 10 साल तक की जेल और जुर्माने से भी दंडित किया जा सकता है।
↪यदि कोई व्यक्ति किसी 18 साल से कम उम्र की लड़की को किसी वेश्या या किसी व्यक्ति को, जो वेश्यागृह चलाता हो या उसका प्रबंध करता हो, बेचता है, भाड़े पर देता है तो यह माना जाएगा कि उस व्यक्ति ने लड़की को वेश्यावृत्ति के लिए बेचा है, जब तक कि इसके विपरीत साबित न हो जाए।
↪वेश्यावृत्ति आदि के लिए बच्चों को खरीदना (धारा 373) -अगर कोई व्यक्ति किसी 18 साल से कम उम्र के बच्चे को वेश्यावृत्ति, या गैर कानूनी संभोग, या किसी कानून के विरूद्ध, और दुराचारिक काम में लाए जाने या उपयोग किए जाने के लिए उसको खरीदता है या भाड़े पर देता है, तो ऐसे व्यक्ति को 10 साल की जेल और जुमनि से भी दंडित किया जा सकता है।
राज्य सरकार इस अधिनियम के अंतर्गत अपराधों के संबंध में विशेष पुलिस अधिकारियों को नियुक्त करेगी। सरकार कुछ महिला सहायक पुलिस अधिकारियों की भी नियुक्ति कर सकती है।
इस अधिनियक के अंदर दिए गए सभी अपराध संज्ञेय हैं -
इस अधिनियम के अंदर दिए गए अपराध के दोषी व्यक्ति को विशेष पुलिस अधिकारी या उसके निर्देश के बिना, वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है।
1️⃣तलाशी लेना:-
विशेष पुलिस अधिकारी या दुर्व्यापार पुलिस अधिकारी बिना वारंट के किसी स्थान की तलाशी तब ले सकते हैं, जब उनके साथ उस स्थान के दो या दो से अधिक सम्मानित व्यक्तियों, जिनमें कम से कम एक महिला भी साथ हो |वहां पर मिलने वाले व्यक्तियों को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा। ऐसे व्यक्तियों की आयु, लैंगिक शोषण, व यौन संबंधी बीमारियों की जानकारी के लिए चिकित्सीय जांच करायी जाएगी |
ऐसे स्थानों पर मिलने वाली महिलाएं या लड़कियों से, महिला पुलिस अधिकारी ही पूछताछ कर सकती है।
2️⃣वेश्यागृह से छुड़ाना:-
अगर मजिस्ट्रेट को किसी पुलिस अधिकारी या राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति से सूचना मिलती है कि कोई व्यक्ति वेश्यावृत्ति कर रहा है या करता रहा है तो पुलिस अधिकारी (जो इंस्पेक्टर की श्रेणी से उच्च का होगा) उस स्थान की तलाशी लेने और वहां मिलने वाले लोगों को उसके सामने पेश करने को कह सकता है।3️⃣वेश्यागृह को बंद करना :-
मजिस्ट्रेट को पुलिस से या किसी अन्य व्यक्ति से सूचना मिलती है कि कोई घर मकान, स्थान आदि सार्वजनिक स्थान के 200 मीटर के भीतर वेश्यावृत्ति के लिए प्रयोग किया जा रहा है तो वह उस जगह के मालिक किराएदार, एजेंट या जो उस स्थान की देखभाल कर रहा है, उसे नोटिस देगा कि वह सात दिन के अंदर जवाब दें कि क्यों न उस स्थान को अनैतिक काम के लिए प्रयोग किए जाने वाला घोषित किया जावे।सम्बंधित पक्ष को सुनने के बाद यदि यह लगता है कि वहां पर वेश्यावृत्ति हो रही है तो मजिस्ट्रेट सात दिन के अंदर उसको खाली करने व उसकी अनुमति के बिना किराये पर न देने के आदेश दे सकता है।
4️⃣संरक्षण गृह में रखने के लिए आवेदन :-
कोई व्यक्ति जो वेश्यावृत्ति करता है या जिससे वेश्यावृत्ति करायी जाती है, वह मजिस्ट्रेट से संरक्षण गृह में रखने व न्यायालय से सुरक्षा के लिए आवेदन कर सकता है।Lesson-1➡️ Click here
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